व्यक्तित्व निखरते देखा है।
अस्तित्व को ढलते देखा है।।
काली अमावस रातों में।
जुगनू का साहस देखा है।।
देखा है हमने एक रोज।
छोटी सी बगावत जुगनू की।।
सूर्योदय से कुछ पल पहले।
घना अंधेरा देखा है।।
है किरदार हमारा भी।
कुछ-कुछ जुगनू सा लगता है।।
खुद को खुद से लड़ते हमने।
पल-पल खुद को देखा है।।